Pregnancy Symptoms in Hindi : प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण?
प्रेगनेंसी एक नई जिंदगी की शुरुआत का संकेत है लेकिन प्रेगनेंसी की शुरुआत से पहले भी ऐसे कई संकेत देखने को मिलते हैं। वैसे तो आजकल की बदलती लाइफस्टाइल के कारण उसकी सबसे ज्यादा असर महिलाओं के पीरियड्स (women’s periods) पर देखने को मिलता है।
पीरियड्स का डिले होना बदलती लाइफस्टाइल का हीं नहीं बल्कि विवाहित दंपति के लिए प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (pregnancy symptoms)का एक महत्वपूर्ण संकेत भी है। इसके अलावा भी कई ऐसे संकेत है जिससे टेस्ट करने पहले ही प्रेगनेंसी को कन्फर्म कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी के सामान्य लक्षण (Common Symptoms of Pregnancy in Hindi)
प्रेगनेंसी की शुरुआत से लेकर डिलीवरी तक का सफर गर्भस्थ शिशु के साथ साथ उनकी मां के लिए भी महत्वपूर्ण है। गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास के लिए शुरूआती सामान्य लक्षण (pregnancy symptoms) को पहचान कर डॉक्टर से परामर्श करें और उनके दिशा-निर्देश का पालन करें। प्रेगनेंसी के कुछ सामान्य लक्षण से भी बिना टेस्ट किए प्रेगनेंसी का पता लगाया जा सकता है।
पीरियड्स मिस होना, जी मिचलाना और उल्टी आना, ब्रेस्ट के आकार में बदलाव, थकान और बार-बार यूरिन आना इत्यादि प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण है। (pregnancy symptoms in Hindi) हालांकि में यह संकेत दिखने पर प्रेगनेंसी टेस्ट अवश्य करवाएं। हालांकि यह लक्षण किसी और वजह से भी दिख सकते हैं।
प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण – Early Pregnancy Symptoms in Hindi
प्रेगनेंसी के दौरान कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। जिसकी वजह से कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं। कुछ महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ज्यादा लक्षण देखने मिलते हैं (early pregnancy symptoms) जबकी कुछ महिलाओं में बहुत ही कम लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर आप को संदेह है कि आप प्रेंग्नेंट हैं तो आप होम प्रेगनेंसी किट से घर पर ही टेस्ट कर सकते हैं (pregnancy test kit use in hindi) या फिर डॉक्टर का संपर्क करें। प्रेगनेंसी के लगभग एक सप्ताह के बाद से महिला खुद के बॉडी में कुछ बदलाव के लक्षणों को अनुभव करना शुरू कर देती हैं जैसे –
1. पीरियड मिस होना : प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण में सबसे पहले आता है पीरियड मिस होना (period miss hone ke lakshan)। हालांकि कई महिलाओं में प्रेगनेन्सी के बावजूद पीरियड मिस होने की जगह लाइट पीरियड्स आ सकते हैं मतलब की इस दौरान ब्लीडिंग की मात्रा काफी कम होती हैं।
2. मूड में बदलाव : पीरियड्स के कुछ दिन पहले की तरह प्रेगनेंसी में भी मूड स्विंग्स यानी मूड में बदलाव आना आम बात है। छोटी-छोटी बातों पे चिड़चिड़ापन भी हो सकता हैं। हार्मोन का स्तर बैलेंस होने पर मूड स्विंग्स की समस्या दूर हो जाती हैं, लेकिन कई महिलाएं प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों तक मूड स्विंग्स का अनुभव करती हैं।
3. थकान महसूस होना : प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाएं बहुत ही ज्यादा थकान महसूस करती हैं। पहले ट्रायमेस्टर से लेकर दूसरे ट्रायमेस्टर तक थकान महसूस होना आम बात है। वैसे तो दूसरे ट्रायमेस्टर में थकान की समस्या दूर हो जाती हैं लेकिन तीसरे ट्रायमेस्टर में फिर से थकान से सामना करना पड़ सकता हैं।
4. जी मिचलाना (मॉर्निंग सिकनेस) : आधी से ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस का अनुभव करती हैं। कई महिलाओं को भूख भी नहीं लगती और इतना ही नहीं कई महिलाएं सिर्फ मॉर्निंग में हीं नहीं बल्कि पूरा दिन इस लक्षण को महसूस करती हैं।
मॉर्निंग सिकनेस आम तौर पे प्रेगनेंसी के चौथे से छठे सप्ताह से शुरू होती हैं और बारहवें सप्ताह तक महसूस की जा सकती हैं। कई महिलाओं में यह बारह सप्ताह से भी ज्यादा चलता है और कई महिलाओं में 32 वे सप्ताह के बाद फिर से मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness)के लक्षण महसूस किए जा सकते हैं।
5. चक्कर आना : शरीर में हार्मोनल बदलाव और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव की वजह से प्रेगनेंसी के दौरान चक्कर (Dizziness during pregnancy) आना सामान्य है। यह पहले ट्रायमेस्टर से लेकर छह सप्ताह तक चक्कर महसूस हो सकते हैं। अगर बार बार चक्कर आ (feel dizzy repeatedly) रहे हो, बेहोश हो जाएं तो ऐसे समय में तुरंत ही डॉक्टर का संपर्क करें।
6. सांस लेने में तकलीफ : प्रेगनेंसी के तीसरे ट्रायमेस्टर में सांस लेने में तकलीफ होना सामान्य है। कई माफियाओं को प्रेगनेंसी के शुरुआत में भी ऐसा होता हैं। अगर आपको अस्थमा जैसी बिमारी है तो इसको लेकर डॉक्टर से परामर्श करें। सांस लेने में तकलीफ के अलावा और कोई लक्षण न हो तो डर ने की बात नहीं है।
7. सिर दर्द और सिर भरी होना : प्रेगनेंसी के पहले और दूसरे ट्रायमेस्टर में सरदर्द की शिकायते ज्यादा रहती हैं। हार्मोन का स्तर और ब्लड वॉल्यूम बढ़ने की वजह से पहले ट्रायमेस्टर में सरदर्द (Headache) की शिकायते हो सकती हैं।
8. बार-बार पेशाब लगना : (Frequent urination) प्रेगनेंसी के वक्त शरीर में प्रवाही का स्तर बढ़ जाता हैं और किडनी की कार्यक्षमता में वृद्धि पाए जाती हैं। गर्भाशय में पल रहे बच्चे की वजह से ब्लैडर पर दबाव आता है। बार बार टायलेट जाना भी प्रेगनेंसी के मुख्य लक्षणों (Pregnancy ke lakshan) में जाना जाता है।
9. कब्ज की शिकायत : प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं का पाचनतंत्र प्रभावित होता हैं, जिसकी वजह से कब्ज की समस्या (Constipation problem) हो सकती हैं। कई महिलाओं को इन दौरान बवासीर भी हो सकता हैं। लेकिन बच्चे के जन्म के बाद यह शिकायते भी दूर हो जाती हैं।
10. स्तनों के आकार में बदलाव : प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट में सूजन आ जाती हैं। ऐसा हीं कुछ पीरियड्स शुरू होने से पहले भी देखा जाता हैं। प्रेगनेंसी के दौरान निप्पल के आसपास की त्वचा का रंग गहरा हो जाता हैं।
11. रक्तस्राव और ऐंठन : अगर आपको कोई और लक्षण भी दिख रहे हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। इतना ही नहीं अगर ब्लीडिंग हो या फिर पानी की थैली फट जाए, शरीर का तापमान ज्यादा रहता हो, गंभीर सर दर्द या फिर विज़न लोस जैसे लक्षण (pregnancy symptoms) देखने को मिले तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रेग्नेंसी के लक्षणों को देखते हुए प्रेग्नेंसी को कैसे कंफर्म करें (pregnancy symptoms in Hindi)
प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं जैसे की, पीठ दर्द, सिर दर्द, लेग क्रैम्प्स या वैरिकाज़ वेइंस, खुजली या झनझनाहट, कब्ज, योनि स्राव, मूड स्विंग्स या फिर डिप्रेशन।
प्रेगनेंसी टेस्ट (pregnancy test )आप घर पर ही किट के जरिए भी कर सकते हैं और ब्लड टेस्ट (Blood Tests) के जरिए भी कर सकते हैं।
• प्रेगनेंसी किट : (pregnancy test kit use in hindi) पीरियड्स मिस होने के 2-10 दिन में आप प्रेगनेंसी किट के जरिए टेस्ट कर सकते हैं। घर पर टेस्ट करने के लिए सबसे पहले युरिन का इस्तेमाल किया जाता हैं। अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो तुरंत ही डॉक्टर का संपर्क करें।
• ब्लड टेस्ट : युरीन टेस्ट से भी ज्यादा अधिकृत टेस्ट है ब्लड टेस्ट (Blood Tests)। यह टेस्ट आप घर पर नहीं कर सकते। ओवुलेशन के 6 से 8 दिन बाद आप ब्लंट टेस्ट के जरिए प्रेगनेंसी कंफर्म कर सकते हैं। होम प्रेगनेंसी किट की तुलना में ब्लड टेस्ट (Blood Tests) का परिणाम आने में वक्त लगता हैं।
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प्रेगनेंसी की शुरुआत में इन बातों का रखें ध्यान (Precautions in Pregnancy in Hindi)
प्रेगनेंसी के लक्षण (Pregnancy Symptoms) दिखाई देते हीं प्रेगनेंसी टेस्ट करें और टेस्ट पॉजिटिव (pregnancy test) आते हीं मां और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें।
• प्रेगनेंसी की शुरुआत में डॉक्टर के दिशा-निर्देश अनुसार हल्की फुल्की एक्सरसाइज करें।
• भारी एक्सरसाइज या वज़न उठाने से बचें।
• तनाव से दूर रहें और इसके लिए नियमित रूप से योगा और ध्यान करें।
• विटामिन और पोषण युक्त आहार का सेवन करें।
• पेट पर दबाव न आए इसका ध्यान रखें।
• अगर प्रेगनेंसी से पहले आप कोई और दवाई ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
प्रेगनेंसी के मासिक लक्षण (Month wise Symptoms of Pregnancy in Hindi)
1. पहला महीना : (1 month pregnancy symptoms in Hindi) जी मिचलाना, मितली, स्तन में सूजन, उल्टी, थकान, मॉर्निंग सिकनेस इत्यादि लक्षण प्रेगनेंसी के पहले महीने में दिखाई देते हैं।
2. दूसरा महीना : (2 month pregnancy symptoms in Hindi) स्वाद में बदलाव, मूड स्विंगस
3. तीसरा महीना : (3 month pregnancy symptoms in Hindi) इस महीने गर्भस्थ शिशु का वजन बढ़ने से उसका प्रभाव मां के वज़न पर भी पड़ता है। इस महीने मां के पेट का आकार बढ़ता है।
4. चौथा महीना : (4 month pregnancy symptoms in Hindi) इस महीने मां के चेहरे पर प्रेगनेंसी का ग्लॉ दिखने लगता है और पेट में बच्चे की मूवमेंट को भी महसूस किया जाता है।
5. पांचवां महीना : (5 month pregnancy symptoms in Hindi) मां लगातार गर्भस्थ शिशु की मुवमेंट महसूस कर पाएंगी। शिशु के विकास की वजह से मां को थकावट भी महसूस हो सकती है।
6. छठा महीना : (6 month pregnancy symptoms in Hindi) सांस फूलना
7. सातवां महीना : (7 month pregnancy symptoms in Hindi) हाथ, पैर, चेहरे पर सूजन होती है। इतना ही नहीं पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है।
8. आठवां महीना : (8 month pregnancy symptoms in Hindi) गर्भस्थ शिशु की हलचल बढ़ने लगती है।
9. नौवां महीना : (9 month pregnancy symptoms in Hindi) कमर और पेट में दर्द होता है। वेजाइना से पानी आता है।
Also Read in English: Pregnancy Test Kit Use
FAQs (प्रेगनेंसी के बारे पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रेगनेंसी का शुरुआती लक्षण क्या होता है?
• जी मिचलाना और उल्टी आना
• स्तन में दर्द और संवेदनशीलता
• कब्ज और पेट फूलना
• थकान और कमजोरी का बना रहना
• बार-बार पेशाब आना
• सिरदर्द और चक्कर आना
पीरियड आने से पहले कैसे पता करें कि हम प्रेग्नेंट है या नहीं?
प्रेग्नेंट है या नहीं कैसे पता चलता है?
प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?
प्रेग्नेंट कब और कैसे होते हैं?
पीरियड आने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षण
थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना।
स्तनों में बदलाव: स्तनों में सूजन, दर्द या कोमलता महसूस होना।
मतली और उल्टी: खासकर सुबह के समय।
भूख में बदलाव: भूख ज्यादा लगना या कम लगना।
बार-बार पेशाब लगना:
कब्ज या दस्त:
मूड swings: चिड़चिड़ापन, भावुकता या उदास महसूस होना।
सिरदर्द:
नाक बंद होना:
पेट में ऐंठन:
प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है
कुछ महिलाओं को गर्भधारण के 1-2 सप्ताह के अंदर ही लक्षण दिखने लगते हैं,
जबकि कुछ महिलाओं को 4-6 सप्ताह तक का समय लग सकता है।
शुरुआती लक्षण:
पीरियड आने से पहले कैसे पता करें कि प्रेग्नेंट है
घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट करना।
डॉक्टर से मिलकर गर्भावस्था की पुष्टि करवाना।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण पहले महीने के
चक्कर आना,
त्वचा पर बदलाव,
पीठ दर्द,
जोड़ों में दर्द।
गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलता है
जिसके आधार पर प्रेगनेंसी टेस्ट सकारात्मक दिखा सकता है।
हालांकि, कुछ महिलाओं को hCG हार्मोन का स्तर बढ़ने में 21 दिन तक का समय लग सकता है।
गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है
जिसे “मॉर्निंग सिकनेस” कहा जाता है।
यह हर महिला में अलग-अलग होता है,
कुछ महिलाओं को पूरे दिन मतली और उल्टी हो सकती है।
प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या
यदि आपको रक्तस्राव हो रहा है, तो यह **गर्भपात, प्लासेंटा प्रिविया या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पीरियड्स मिस होने के कितने दिन बाद उल्टी लगती है
यह हर महिला में अलग-अलग होता है,
कुछ महिलाओं को पूरे दिन मतली और उल्टी हो सकती है।
पीरियड आने से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं
हालांकि, सबसे सटीक परिणाम के लिए **डॉक्टर से मिलकर
2nd प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है?
कुछ महिलाओं को पहले से ही पता हो सकता है कि वे प्रेग्नेंट हैं क्योंकि उनके पिछले मासिक धर्म चक्र के बारे में जानकारी होती है।
हालांकि, लक्षणों की शुरुआत व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकती है।
आम तौर पर, मासिक धर्म रुकने के बाद कुछ हफ्तों के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
गर्भधारण के 48 घंटे बाद के लक्षण
निषेचन के बाद, भ्रूण को विकसित होने में कुछ समय लगता है।
शुरुआती लक्षण आमतौर पर मासिक धर्म के रुकने के बाद ही दिखाई देते हैं।
3 दिन गर्भवती के लक्षण
निषेचन के बाद, भ्रूण को विकसित होने में समय लगता है, और लक्षणों के दिखाई देने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।
पीरियड आने के बाद भी क्या कोई प्रेग्नेंट हो सकते है?
सामान्यतया, मासिक धर्म के दौरान गर्भधारण की संभावना कम होती है, लेकिन पूरी तरह से संभव नहीं होती है।
यदि आप चिंतित हैं, तो प्रेगनेंसी टेस्ट करवाना सबसे अच्छा तरीका है।
पीरियड मिस होने के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करे
हालांकि, कुछ टेस्ट पहले भी सटीक परिणाम दे सकते हैं।
यदि टेस्ट नेगेटिव आता है और आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं, तो कुछ दिनों बाद फिर से टेस्ट करें।
क्या प्रेगनेंसी के पहले महीने में वाइट डिस्चार्ज होता है
यह सामान्य है और हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है।
हालांकि, यदि डिस्चार्ज में बदलाव होता है, जैसे कि रंग, गंध, या मात्रा में वृद्धि, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
15 दिन की प्रेगनेंसी के लक्षण
कुछ महिलाओं को अभी तक कोई लक्षण नहीं दिखाई दे सकते हैं, जबकि अन्य को थकान, स्तन में दर्द, मतली, या बार-बार पेशाब लगने जैसे शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होना क्या है
यह गर्भपात का संकेत हो सकता है।
यदि आपको ऐसा दर्द होता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है
इस दौरान, महिला को थकान, स्तन में दर्द, मतली, बार-बार पेशाब लगने, मूड स्विंग्स, और भूख में बदलाव जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण
निषेचन होने और भ्रूण के विकास के लिए कुछ समय लगता है।
गर्भावस्था के लक्षण आमतौर पर मासिक धर्म के रुकने के बाद दिखाई देते हैं।
घर पर कैसे पता करे की प्रेग्नेंट है या नहीं
टेस्ट में मूत्र में hCG हार्मोन की जांच की जाती है, जो गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाता है।
यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर से पुष्टि करवाएं।
प्रेगा न्यूज़ प्रेगनेंसी टेस्ट कितने दिन बाद करना चाहिए
आमतौर पर, टेस्ट मासिक धर्म की अनुमानित तारीख से एक सप्ताह बाद सबसे सटीक परिणाम देता है।
क्या सफेद पानी आना प्रेगनेंसी का लक्षण है
यह सामान्य डिस्चार्ज हो सकता है।
हालांकि, यदि डिस्चार्ज में बदलाव होता है, जैसे कि रंग, गंध, या मात्रा में वृद्धि, तो डॉक्टर से संपर्क करें।