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Fibroid Meaning in Hindi : गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लक्षण और उपचार (Fibroid Uterus Meaning in Hindi)

गर्भाशय में रसौली (Fibroid Meaning in Hindi) एक गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर है, जो गर्भाशय के अंदर या फिर उसके आसपास विकसित हो सकती है। कभी कभी रसौली के लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन कुछ मामलों में मासिक धर्म के दौरान भारी ब्लीडिंग होना, पीठ दर्द, बार बार युरीन आना और सेक्स के दौरान दर्द होना गर्भाशय में रसौली के संकेत हैं। छोटी रसौली के मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन रसौली बड़ी हो तो दवाई या फिर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। (Fibroid Uterus Meaning in Hindi)

गर्भाशय में फाइब्रॉएड क्या है? (Fibroid Meaning in Hindi)

गर्भाशय फाइब्रॉयडस मांसपेशियों और टिशू से बनी ट्यूमर होती है, जो गर्भाशय की दीवार पर या फिर उसके अंदर पाई जाती है। यह ट्यूमर कैंसरयुक्त नहीं होती है और यह ट्यूमर महिलाओं में होना आम बात है। कभी कभी फाइब्रॉयडस के लक्षण नहीं दिखाई देते ऐसे में महिला को खुद इसकी जानकारी नहीं होती। फाइब्रॉयडस का उपचार उसके लक्षण पर निर्भर करता है। यह फाइब्रॉयडस आम तौर पर व्यस्क महिलाओं में देखने को मिलती है। (Fibroid Meaning in Hindi)

फाइब्रॉयडस के आकार अलग अलग हो सकते हैं। यह एक या एक से अधिक हो सकते हैं। कुछ मामलों में फाइब्रॉयडस पेल्विस एरिया और पेट में पूरी तरह से फ़ैल जाती है, जिससे गर्भवती होने का आभास होता है। पेल्विक परीक्षण और अल्ट्रासाउंड के दौरान फाइब्रॉयडस का पता लगाया जा सकता है।

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फाइब्रॉएड के प्रकार (Types of Fibroid Uterus meaning in Hindi)

आम तौर पर फाइब्रॉयडस के चार प्रकार होते हैं। (Fibroid Uterus Meaning in Hindi)

• इंट्राम्यूरल फाइब्रॉयडस : आम तौर पर सबसे ज्यादा इस तरह के फाइब्रॉयडस देखने को मिलते हैं। यह गर्भाशय की मांसपेशियों में स्थित होते हैं। यह रीढ़ की हड्डी, मलाशय और श्रोणि पर दबाव डालते हैं।

• सबसेरोसल फाइब्रॉयडस : यह फाइब्रॉयडस गर्भाशय के बाहर मांसपेशियों या गर्भाशय की दीवार में पाए जाते हैं। इनके कारण पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, पेल्विस में दर्द और रीढ़ की हड्डी पर दबाव का अनुभव हो सकता है।

• सबम्यूकोसल फाइब्रॉयडस : यह फाइब्रॉयडस गर्भाशय की लाइनिंग के नीचे होते हैं और गर्भाशय की ओर फैले होते हैं। इसकी वजह से पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग हो सकता है।

• पेडन्क्युलेट फाइब्रॉयडस : यह फाइब्रॉयडस मशरूम की तरह दिखते हैं। यह गर्भाशय की दीवार के बाहर पाए जाते हैं। यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालता है जिस कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।

गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लक्षण (Symptoms of Uterine Fibroid in Hindi)

आम तौर पर छोटे छोटे फाइब्रॉयडस के कोई लक्षण नहीं होते हैं और ना ही उनके कोई उपचार की जरूरत पड़ती है। मेनोपॉज के बाद हार्मोन लेवल कम होने पर फाइब्रॉयडस की समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि बड़ी फाइब्रॉयडस होने पर निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

• पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग और तेज दर्द होना

• बिना पीरियड्स के भी ब्लीडिंग आना, एनीमिया

• पेट के निचले हिस्से में सूजन या भारीपन का अहसास

• बार बार युरीन आना

• सेक्स के दौरान दर्द होना

• पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना

• कब्ज या फिर मलाशय पर दबाव महसूस होना

• लंबे समय तक वेजाइनल डिस्चार्ज (योनि स्त्राव)

• युरीन करने में दिक्कत

• पेट का फैलाव बढ़ना

गर्भाशय में फाइब्रॉएड के कारण (Causes of Uterine Fibroid in Hindi)

गर्भाशय में रसौली के सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन डॉक्टर के मुताबिक एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। अधिकांश फाइब्रॉयडस प्रजनन आयु में होती है। स्टडीज में पाया गया है कि जब हार्मोन का लेवल सबसे ज्यादा हो (जैसे कि गर्भावस्था) तब फाइब्रॉयडस बढ़ने लगते है और जब हार्मोन का लेवल कम हो जाता है (मेनोपॉज के दौरान) तब फाइब्रॉयडस सिकुड़ने लगते है।

इसके अलावा जो पदार्थ शरीर के टिशू को बनाए रखने में मदद करते हैं जैसे कि इंसुलिन आदि फाइब्रॉयडस के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, मायोमेट्रियम की स्टेम सेल की वजह से गर्भाशय में फाइब्रॉयडस विकसित होते हैं। इसके अलावा फाइब्रॉयडस जेनेटिक भी हो सकते हैं, अगर परिवार में किसी महिला को फाइब्रॉयडस हैं तो यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है।

अत्यधिक वजन भी फाइब्रॉयडस की वजह बन सकता है और लाइफस्टाइल जैसे कि धूम्रपान, शराब का अधिकतम सेवन भी फाइब्रॉयडस के विकास में भूमिका निभा सकता है। कभी कभी हार्मोन लेवल में आ रहे उतार-चढ़ाव भी फाइब्रॉयडस का कारण बन सकता है।

गर्भाशय फाइब्रॉएड से बचाव (Prevention of Fibroids in uterus in Hindi)

गर्भावस्था फाइब्रॉयडस से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। (Fibroids in uterus)

• स्वस्थ डायट : फाइबर युक्त आहार, सब्जियां, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त आहार अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में शामिल करना चाहिए। स्वस्थ डायट से गर्भाशय फाइब्रॉयडस के बढ़ते आकार को कम किया जा सकता है।

• कसरत/योगा : नियमित कसरत या योगाभ्यास करने से आपका स्वास्थ्य तो बेहतर बना रहता है साथ में ही गर्भाशय में फाइब्रॉयडस हो तो उसके आकार को कम करने में मदद करता है।

• रेगुलर हेल्थ चेकअप : गर्भाशय फाइब्रॉयडस से बचने के लिए रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएं। इससे फाइब्रॉयडस होने पर तुरंत ही इलाज शुरू किया जा सकता है।

• दवाएं : गर्भाशय फाइब्रॉयडस की स्थिति में डॉक्टर दवाई का भी सुझाव दे सकते है, ऐसे में डॉक्टर के दिशा-निर्देश के अनुसार दवाई का सेवन करें।

गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज (Treatment of Uterine Fibroid in Hindi)

आम तौर पर छोटी फाइब्रॉयडस अपने आप ठीक हो जाती है और इस तरह की फाइब्रॉयडस में लक्षण भी दिखाई नहीं देते, ऐसे में उपचार की आवश्यकता नहीं रहती। यह फाइब्रॉयडस मेनोपॉज के बाद सिकुड़ जाते हैं।

अगर फाइब्रॉयडस की वजह से अधिक ब्लीडिंग, दर्द जैसे लक्षण दिखाई दे तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। लक्षण के आधार पर डॉक्टर दवा या फिर सर्जरी का सुझाव दे सकते है।

• दवाइयां : फाइब्रॉयडस कम करने के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन को नियंत्रित करना जरूरी है और इसलिए गोनैडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट की दवा का सुझाव दिया जा सकता है। हालांकि की इस दवाई की वजह से मेनोपॉज के लक्षण जैसे कि हॉट फ्लैश, अधिक पसीना आना, योनि में सूखापन और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

• गर्भनिरोधक दवाएं : ओवुलेशन साइकिल को नियंत्रित करने और मेनोरेजिआ को कम करने में मदद करती है।

• एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं : पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग की वजह से होने वाले प्रोस्टाग्लैंडिस के उत्पादन को नियंत्रित करती है। यह एक तरह से पेन किलर्स भी होती है।

• सर्जरी : अगर फाइब्रॉयडस के लक्षण दवाएं से भी ठीक नहीं हो रहे तो डॉक्टर निम्नलिखित सर्जरी का सुझाव दे सकते है।

• हिस्टेरेक्टॉमी : इस प्रक्रिया में गर्भाशय निकाल कर फाइब्रॉयडस को निकाला जा सकता है। पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होने की समस्या को दूर करने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी की जाती है लेकिन इसकी वजह से समय से पहले मेनोपॉज और सेक्स में अरूचि जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

• मायोमेक्टोमी : जो महिला भविष्य में गर्भधारण करना चाहती है, उन्हें मायोमेक्टोमी का सुझाव दिया जाता है। मायोमेक्टोमी के माध्यम से गर्भाशय की दीवार से फाइब्रॉयडस को हटा दिया जाता है।

इसके अलावा एंडोमेट्रियल ऐब्लेशन, MRI के द्वारा अल्ट्रासाउंड सर्जरी, यूट्राइन आर्टरी एम्बोलाइजेशन की सर्जरी भी की जा सकती है।

Also Read in English: Fallopian Tube Blockage Treatment

निष्कर्ष (Fibroid Meaning in Hindi)

हार्मोन में आ रहे चढ़ाव उतार की वजह से गर्भाशय में फाइब्रॉयडस (Fibroid Meaning in Hindi) की समस्या हो सकती है। आम तौर इसके लक्षण दिखाई नहीं देते और यह अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन इसके लक्षण ज्यादा दिखाई दे तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। दवाइयां या फिर तो सर्जरी के जरिए गर्भाशय में फाइब्रॉयडस को दूर किया जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)(Fibroid Meaning in Hindi)

फाइब्रॉयड का मतलब क्या होता है?(Fibroid Meaning in Hindi)

गर्भाशय फाइब्रॉयडस मांसपेशियों और टिशू से बनी ट्यूमर होती है, जो गर्भाशय की दीवार पर या फिर उसके अंदर पाई जाती है।

क्या महिलाओं में फाइब्रॉएड खतरनाक हैं?

नहीं, फाइब्रॉयडस जानलेवा नहीं होती है। यह एक गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर होती है। अधिकांश मामलों में मेनोपॉज शुरू होते ही फाइब्रॉयडस सिकुड़ने लगती है।

फाइब्रॉएड का मुख्य कारण क्या है?

एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन फाइब्रॉयडस के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इंसुलिन आदि फाइब्रॉयडस के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, मायोमेट्रियम की स्टेम सेल की वजह से गर्भाशय में फाइब्रॉयडस विकसित होते हैं।

गर्भाशय में फाइब्रॉएड क्यों बनते हैं?

हार्मोन में चढ़ाव-उतार, प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन, इंसुलिन, मायोमेट्रियम की स्टेम सेल, जेनेटिक जैसे की कारणों की वजह से गर्भाशय में फाइब्रॉयडस विकसित हो सकता है।

फाइब्रॉएड में क्या खाना चाहिए?

फाइब्रॉयडस की स्थिति में फाइबर युक्त आहार, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त आहार अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में शामिल करना चाहिए। स्वस्थ डायट से गर्भाशय फाइब्रॉयडस के बढ़ते आकार को कम किया जा सकता है।

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